डायबिटीज़ की रोकथान करना: क्या यह संभव है?
हां प्रीडायबिटीज़ के समय से निदान और नियंत्रण से डायबिटीज़ के लगभग 60% मामलों को नियंत्रित करने में सहायता मिल सकती है
अधिकांश लोगों में, प्रकार 2 डायबिटीज़, प्रीडायबिटीज़ के बाद होती है, जो अंततः कुछ वर्षों में डायबिटीज़ में विकसित हो जाती है. प्रीडायबिटीज़ को विकसित करने वाले जीवनशैली के कारकों को नियंत्रित करने से आपको डायबिटीज़ की रोकथाम करने में सहायता मिल सकती है
प्रीडायबिटीज़ क्या है? क्या प्रीडायबिटीज़ के कोई लक्षण हैं?
प्रीडायबिटीज़ ऐसी स्थिति है, जिसमें आपकी रक्त शर्करा के स्तर सामान्य नहीं रहते हैं, लेकिन वे डायबेटिक स्तरों से कम हो जाते हैं. प्रीडायबिटीज़ अक्सर मेटाबोलिक सिंड्रोम नामक जोखिम जटिलता का एक भाग है. यदि खाली पेट आपकी रक्त शर्करा 100 mg/dL से अधिक लेकिन 126 mg/dL से कम है, तो आप एक प्रीडायबिटिक मरीज़ हैं
प्रीडायबिटीज़ के कोई लक्षण नहीं होते, प्रकार 2 डायबिटीज़ में इसके लक्षण देर से भी प्रकट होते हैं. जब इसके लक्षण प्रकट होते हैं, तो अधिकांशतः डायबिटीज़ की जटिलताओं जैसे न्यूरोपैथी इत्यादि के कारण होते हैं.
लिखित लक्षण: अत्यधिक भूख, प्यास लगना और पेशाब आना अधिकांश डायबिटिक या प्रीडायबिटिक रोगियों में मौजूद नहीं होते हैं
इसका अर्थ यह है कि यदि आप डायबिटीज़/प्रीडायबिटीज़ का पता लगाने के लिए परीक्षण समय पर नहीं करवाते हैं, तो आपमें जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं
आपको प्रीडायबिटीस और मेटाबोलिक सिंड्रोम का पता लगाने के लिए परीक्षण करवाने चाहिए यदि:
ICMR और ADA दिशानिर्देश बताते हैं कि भारतीय युवाओं को यह परीक्षण करवाने चाहिए यदि उनका
प्रीडायबिटीज़ के लिए परीक्षण :
खाली पेट रक्त शर्करा या ग्लूकोज़ (FBS या FBG)
प्रीडायबिटीज़ का परीक्षन करने के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड परीक्षण, फ़ास्टिंग ब्ल्ड ग्लूकोज़ (FBG) है
ICMR और WHO, सामान्य FBG मान को 110 mg/dL से कम के रूप में, इम्पेयर्ड फास्टिंग ग्लूकोज़ 110-125 mg/dL और डायबिटीज़ 126 से अधिक के रूप में परिभाषित करते हैं. लेकिन ADA सामान्य FBG को इस रूप में परिभाषित करता है
126 mg/dL या इससे अधिक का FBG मान, डायबिटीज़ का निदान है, दोबारा FBG या HbA1c परीक्षण से इस निदान की पुष्टि हो जाती है
लेकिन यदि आपका FBG 110 और 125 के बीच है (या ADA के अनुसार 100 और 125 के बीच है), तो आपको इम्पेयर्ड फ़ास्टिंग ग्लूकोज़ है, जो कि प्रीडायबिटीज़ का एक उपप्रकार है.
आपको दो में से एक अतिरिक्त परीक्षण करवाना होगा: प्रीडायबिटीज़ को और अधिक वर्गीकृत करने या उसकी पुष्टि करने के लिए WHO – ओरल ग्लूकोज़ टॉलरेंस परीक्षण (OGTT) या HbA1c
WHO ओरल ग्लूकोज़ टॉलरेंस परीक्षण (OGTT) या पोस्ट ग्लूकोज़ ब्लड शुगर (PGBS)
इस परीक्षण में, किसी व्यक्ति को खाली पेट 75 ग्राम ग्लूकोज़ पानी के साथ दिया जाता है और उसके रक्त शर्करा स्तर का परीक्षण दो घंटे बाद किया जाता है. यदि पोस्ट ग्लूकोज़ ब्लड शुगर (PGBS) 200 से अधिक होता है, तो इसका अर्थ यह है कि उस व्यक्ति को डायबिटीज़ है, यदि यह 140 और 200 के बीच है, तो उस व्यक्ति को इम्पेयर्ड ग्लूकोज़ टॉलरेंस है
IFG और IGT दोनों से पीड़ित व्यक्तियों को अंततः डायबिटीज़ विकसित होने का जोखिम सामान्य से 10 गुना अधिक होता है
ग्लायकोसिलेटेड हिमोग्लोबिन या HbA1c
HbA1c का उपयोग डायबिटीज़ या प्रीडायबिटीज़ की जांच के लिए भी किया जा सकता है. लेकिन निदान की पुष्टि करने के लिए FBG और PP या PGBS की आवश्यकता होती है. साथ ही , HbA1c, एनिमिया या हिमोग्लोबिन विकारों की सही जानकारी भी दे सकता है (अधिक जानकारी के लिए : इस पर जाएं: ‘HbA1c in diagnosis and management of diabetes‘)
HbA1c स्तर का 6.5% या इससे अधिक होना डायबिटीज़ का निदान है, HbA1c का 6% से कम (या ADA के अनुसार 5.7% ) होना सामान्य माना जाता है, जबकि इसका मान 6 (ADA के अनुसार 5.7) और 6.5% के बीच होना प्रीडायबिटीज़ का लक्षण माना जाता है
मेटाबोलिक सिंड्रोम के परीक्षण
प्रीडायबिटीज़ और मेटाबोलिक सिंड्रोम साथ साथ रहते हैं. इसलिए, इसलिए मेटाबोलिक सिंड्रोम के लिए भी परीक्षण करवाने में बुद्धिमानी है. इसके लिए आपको निम्न परीक्षणों/मापनों की आवश्यकता होगी:
फास्टिंग लिपिड प्रोफ़ाइल : संपूर्ण रक्त, LDL और HDL कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसेरॉइड्स (TG)
FBS:
रक्तचाप:
कमर की परिधि:
यह पता लगाने के लिए कि क्या आपको मेटाबोलिक सिंड्रोम है या नहीं, मेटाबोलिक सिंड्रोम का निदान पढ़ें
प्रीडायबिटीज़ और मेटाबोलिक सिंड्रोम के लिए जीवनशैली के बदलाव:
प्रीडायबिटीज़ और मेटाबोलिक सिंड्रोम में उपचार का मुख्य केंद्र, जीवनशैली में बदलाव लाना है.
जीवनशैली के जिन प्रतिबंधों से डायबिटीज़ की रोकथाम में सहायता मिलती है, वे ये हैं:
प्रीडायबिटीज़ में जीवनशैली के परिवर्तनों का क्या प्रभाव पड़ता है
बहुत से अध्ययन यह दर्शाते हैं कि जीवनशैली के हस्तक्षेपों से डायबिटीज़ बढ़ने का जोखिम कम हो जाता है.
सबसे उल्लेखनीय DPPS अध्ययन (डायबिटिक प्रिवेंशन प्रोग्राम स्टडी) है, जो दर्शाता है, कि अध्ययन के पहले वर्ष में औसतन 7 किलो वज़न कम करके लोगों ने प्रकार 2 की डायबिटीज़ होने के अपने जोखिम को 3 वर्षों में 58 प्रतिशत तक कम कर लिया.
डायबिटीज़ प्रिवेंशन प्रोग्राम आउटकम स्टडी(DPPOS) में, जिसमें इसके प्रतिभागियों को 10 वर्षों तक फ़ॉलो–अप किया, यह पाया गया कि वज़न कम करने और मेटफ़ॉर्मिन के लाभ कम से कम 10 वर्षों तक बने रहते हैं
इन अध्ययनों के 45 % प्रतिभागी अमेरिका के निवासी, अल्पसंख्यक समूहों से थे जिनमें एशियाई अमेरिकी, शामिल थे, इसलिए इन परिणामों पर भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों के लिए विचार किया जा सकता है
प्रीडायबिटीज़ और डायबिटीज़, अक्सर मेटाबोलिक सिंड्रोम से संबद्ध रहती है , जिससे CVD या हृदय रोग का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है. इसलिए आपके हृदय के जोखिम को मॉनिटर करना और यह जानना महत्वपूर्ण है कि किस लक्ष्य स्तर को लक्षित किया जाए.
इनके बारे में अधिक जानकारी के लिए, यह भी पढ़ें‘हृदय के जोखिम कारकों के लिए लक्षित स्तर‘ और ‘FWI रोकथाम स्वास्थ्य जाँच और सलाह‘
देखें: वज़न के प्रबंधन पर अनुशंसाओं के लिए हमारे संदर्भ